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ऋषभः
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ঋষভ ঋষি
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ଋଷଭ ଋଷି
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ਰਿਸ਼ਭ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ऋषभ
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ઋષભ
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gamut
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आर्षभ्य
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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ox
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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preeminent
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orifice
Meanings: 16; in Dictionaries: 10
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स्वरः
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bull
Meanings: 18; in Dictionaries: 11
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excellent
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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व्यासशिक्षा - अनैक्यप्रकरणम्
प्रस्तुत ग्रंथाचा रचनाकाल विभिन्न विद्वानांनी ईसवीसन पूर्व १००० ते ईसवीसन पूर्व ५०० सांगितलेला आहे.
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जौनपुरी
Meanings: 5; in Dictionaries: 5
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hollow
Meanings: 25; in Dictionaries: 8
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noble
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excel
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chief
Meanings: 13; in Dictionaries: 7
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note
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प्रथमकाण्ड - ७१ ते ७५
पैप्पलादसंहिता
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द्वितीयकाण्डः - २६ ते ३०
पैप्पलादसंहिता
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पूर्वभागः - द्विपञ्चाषत्तमोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३८९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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पूर्वभागः - त्रिपञ्चाषत्तमोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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man
Meanings: 29; in Dictionaries: 8
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तृतीयः स्कन्धः - अथ पंचमोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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पंचमः स्कन्धः - अथ विंशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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षोडशकाण्डः - २१ ते २५
पैप्पलादसंहिता
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पंचमः स्कन्धः - अथ एकोनविंशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ३०
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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शतरुद्रसंहिता - अध्यायः ४
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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चतुर्थ काण्डः - ११ ते १५
पैप्पलादसंहिता
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १६३
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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पञ्चमकाण्डः - १ ते ५
पैप्पलादसंहिता
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ११३
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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दशमकाण्ड: - १ ते ५
पैप्पलादसंहिता
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ऊनविंशति काण्डः - ३१ ते ३५
पैप्पलादसंहिता
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भविष्यपर्व - षट्चत्वारिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ११९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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युद्धकाण्डम् - काव्य १०५१ ते १११८
युद्धकाण्डम् या प्रकरणातील श्लोकातील सहावे अक्षर श्री रा म ज य रा म ज य ज य रा म असे आहे.
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वामनपुराण - अध्याय ६ वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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विष्णुपर्व - नवाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ६
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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श्री गोपाल सहस्त्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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श्रीगोपालसहस्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः ४५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अथ गायत्रीमहान्यासाः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा । वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥ अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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